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भारतीय सभ्यता में मछली शुभता, सम्पन्नता एवं दीर्घ आयु का सूचक है। हमारे देश में प्राचीनतम वैदिक काल से मछली पालन होता रहा है। संस्कृत शब्द कोष में मत्स्य संस्कृत का पुल्लिंग शब्द है ।मछली का पुराण काल से साहित्य एवं समाज में महत्व तथा स्थित का अपना स्थान है। मत्स्य व्यवसाय केवल उत्पादन तक सीमित नहीं है वल्कि 14 प्रकार से रोजगार का सृजन होता है। विभिन्न प्रदेशो के द्वारा अपने प्रदेश की एक मछली को राजकीय मछली घोषित किया हैं। सम्पूर्ण विश्व में मछली की लगभग 25476 प्रजातियां में कुछ मछलियां अपना बिशेष स्थान रखती हैं। भारतवर्ष में 2534 प्रजातियां पाये जाने की जानकारी है जिसमें भारतीय मूल की 2243 एवं विदेशी मूल की 291 प्रजातियां हैं। स्वभाव के अनुसार मीठे जल की 765, नमकीन जल की 113 एवं समुद्री जल की 1365 मत्स्य प्रजातियां भारत में उपलब्ध हैं। गंगा नदी प्रणाली जो हमारी देश की सबसे बड़ी प्रणाली है, में लगभग 375 प्रजातियां उपलब्ध हैं।
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